जमीन खरीदने वाले जल्द जान लें रजिस्ट्री का नया नियम, वरना हो सकता है भारी नुकसान Land Registry New Rules

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देश में जमीन से जुड़े विवाद लंबे समय से बड़ी समस्या बने हुए हैं। कई बार परिवारों में संपत्ति के बंटवारे या खरीद-बिक्री के दौरान कानूनी झंझट बढ़ जाते हैं। इन्हीं समस्याओं को ध्यान में रखते हुए बिहार सरकार ने जमीन की रजिस्ट्री प्रक्रिया में बड़े बदलाव किए हैं। अब राज्य के लोग मात्र 100 रुपये में अपनी जमीन का पंजीकरण करवा सकते हैं। यह नया नियम भूमि विवादों को कम करने और आम लोगों को राहत देने के उद्देश्य से लागू किया गया है।

100 रुपये में जमीन की रजिस्ट्री की सुविधा

पहले जमीन की रजिस्ट्री पर भारी शुल्क देना पड़ता था, जिसके कारण कई लोग प्रक्रिया को टाल देते थे। लेकिन अब सरकार ने रजिस्ट्री शुल्क को घटाकर मात्र 100 रुपये कर दिया है। इस फैसले से गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों को सीधा लाभ मिलेगा। खासकर वे लोग जो आर्थिक रूप से कमजोर होने के कारण जमीन की रजिस्ट्री नहीं करवा पाते थे, अब बिना बोझ के अपने नाम की रजिस्ट्री करवा सकते हैं। यह कदम सरकार की पारदर्शी और जनहितकारी नीतियों का हिस्सा है, जिससे संपत्ति विवादों में कमी आने की उम्मीद है।

रजिस्ट्री से पहले पारिवारिक सदस्यों की सूची जरूरी

जमीन की रजिस्ट्री से पहले अब परिवार के सभी सदस्यों की सूची बनाना अनिवार्य कर दिया गया है। यह सूची संबंधित सर्कल कार्यालय में जाकर तैयार करनी होती है। इसमें सभी परिवारजनों का नाम, उम्र और रिश्ते की जानकारी शामिल की जाती है। यह दस्तावेज यह सुनिश्चित करता है कि संपत्ति के सभी वैध दावेदारों का नाम रजिस्ट्री में दर्ज हो। इस प्रक्रिया से भविष्य में संपत्ति बंटवारे को लेकर विवाद की संभावना काफी हद तक खत्म हो जाएगी।

जरूरी दस्तावेज और जांच प्रक्रिया

परिवार की सूची बनने के बाद भूमि मालिक को अपने सभी जरूरी दस्तावेज जमा करने होते हैं। इसमें खतियान, दाखिल-खारिज, पारिवारिक प्रमाणपत्र और पहचान पत्र जैसे दस्तावेज शामिल हैं। सरकारी अधिकारी इन सभी कागजों की जांच करते हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई भी दस्तावेज नकली या गलत न हो। यदि किसी दस्तावेज की कमी है, तो भूमि मालिक स्व-घोषणा पत्र देकर भी प्रक्रिया शुरू कर सकता है और बाद में दस्तावेज जमा कर सकता है। इससे रजिस्ट्री की प्रक्रिया तेज और सरल बनती है।

पारिवारिक संपत्ति के बंटवारे में पारदर्शिता

नई व्यवस्था के तहत जब संपत्ति का रजिस्ट्रेशन पूरा हो जाता है, तो पारिवारिक बंटवारा करना बेहद आसान हो जाता है। पंजीकृत दस्तावेज कानूनी रूप से प्रमाणित होते हैं, जिससे भविष्य में किसी भी तरह के विवाद से बचा जा सकता है। हर सदस्य को अपने हिस्से का स्पष्ट अधिकार मिल जाता है, जिससे पारिवारिक शांति बनी रहती है। यह नियम भूमि मालिकों के लिए सुरक्षा कवच की तरह काम करता है।

राजस्व महाअभियान से सुधरेंगे पुराने रिकॉर्ड

बिहार सरकार ने 2025 तक चलने वाला एक राजस्व महाअभियान शुरू किया है। इसका उद्देश्य पुराने और गलत भूमि रिकॉर्ड को सही करना है। कई बार अभिलेखों में त्रुटियां या अधूरी जानकारी रहती है, जिससे विवाद उत्पन्न होते हैं। इस अभियान के तहत सभी भूमि मालिकों को अपने दस्तावेज अपडेट करने के निर्देश दिए गए हैं। बिना सही कागजात के अब कोई भी भूमि हस्तांतरण या बंटवारा नहीं होगा। यह व्यवस्था पूरी तरह पारदर्शी और नागरिक हित में है।

Disclaimer

यह लेख केवल जानकारी के उद्देश्य से है। किसी भी भूमि रजिस्ट्री या सरकारी प्रक्रिया से पहले संबंधित विभाग की आधिकारिक वेबसाइट या कार्यालय से नवीनतम नियम अवश्य जांचें

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